महान अर्थशास्त्री आचार्य चाणक्य ने एक नीति शास्त्र की रचना की है। इस नीति शास्त्र में उन्होंने जीवन के हर पहलू के बारे में विस्तार से बताया है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार गलत तरीके से कमाया हुआ धन इंसान के पास ज्यादा दिन नहीं टिकता है।
चाणक्य कहते हैं कि निर्धनता, रोग, दुख, बंधन और बुरी आदतें ये सभी मनुष्य के कर्मों का ही फल होती हैं। जो जैसा बीज बोता है उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है।
चाणक्य कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को कभी धनहीन नहीं समझना चाहिए। व्यक्ति अज्ञान से हीन होता है न कि धन से
आचार्य चाणक्य के अनुसार, मनुष्य को अपनी कमजोरियां किसी को भी नहीं बतानी चाहिए। ऐसा करने पर सामने वाला व्यक्ति उस कमजोरी को किसी के भी सामने उजागर कर सकता है
आचार्य चाणक्य के अनुसार, इंसान को भविष्य के लिए हमेशा धन संचय करना चाहिए। ऐसा करने से आप किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, कभी भी मूर्ख लोगों से विवाद नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से केवल आपका ही नुकसान होता है।