महावीर स्वामी ने छठी शताब्दी में जिस धर्म का प्रतिपादन किया था उसे जैन धर्म के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर जैन धर्म के 24 वे और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था और इसलिए इस दिन को महावीर जयंती के रूप में मनाया जाता है। पूरे भारत में 21 अप्रैल यानी आज यह जयंती मनाई जा रही है।
जैन समुदाय के लोग महावीर जयंती को बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं इस खास अवसर पर लोग एक दूसरे को संदेश भेज कर महावीर जयंती की शुभकामनाएं देते हैं और महावीर स्वामी के विचार और संदेशों को लोगों तक पहुंचाते हैं। तो चलिए महावीर जयंती पर महावीर स्वामी के कुछ ऐसे विचारों से आपको प्रेरित करते हैं की जिसे अपना कर आप अपने जीवन में बड़ा बदलाव कर सकते हैं।
कौन थें महावीर स्वामी?
महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर थे। इनका जन्म 599 ईसा पूर्व में हुआ था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता रानी त्रिशला थी और बचपन में उनका नाम वर्धमान था। उन्होंने पूरे समाज को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाया था, महावीर जयंती के दिन जैन धर्म का समाज जैन मंदिरों में जाकर पूजा पाठ करते हैं वहीं इस दिन भव्य जुलूस भी निकाला जाता है।
महावीर स्वामी के सिद्धांत
भगवान महावीर का आत्म धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए समान था उनका कहना था कि हम दूसरों के प्रति भी वही व्यवहार व विचार रखें जो हमें स्वयं को पसंद हो। यही उनका जियो और जीने दो का सिद्धांत है। उन्होंने न केवल इस जगत को मुक्ति का संदेश दिया अभी तो मुक्ति की सरल और सच्ची राह भी बताएं आत्मिक और शाश्वत सुख की प्राप्ति हेतु सत्य अहिंसा अपरिग्रह आचार्य और ब्रह्मचर्य जैसे पांच मूलभूत सिद्धांत में बताएं इन्हें सिद्धांतों को अपने जीवन में उतर कर महावीर जिन कहलाए जिसे ही जैन बना अर्थात कम तृष्णा इंद्रिय व भेद जाई है वही जैन है।
राष्ट्रपति ने दी शुभकामनाएं
महावीर जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी देशवासियों को शुभकामनाएं दी और सभी से अहिंसा को अपने आचरण में डालने का आह्वान किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने ट्वीट में कहा महावीर जयंती पर सभी देशवासियों विशेष कर जैन समुदाय को मैं हार्दिक बधाई देता हूं उन्होंने कहा भगवान महावीर ने सत्य अहिंसा और अपरिग्रह की शिक्षा देकर मानवता को राह दिखाई है सभी देशवासी अहिंसा को आचरण में डालें प्राणियों के प्रति करुणा का संकल्प ले तथा प्रकृति का संरक्षण करें।
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