कामाख्या देवी: कामाख्या या कामेश्वरी देवी को इच्छा की देवी के नाम से भी जाना जाता है यह मंदिर असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में स्थित नीलांचल पहाड़ी के मध्य में स्थित है। यह मंदिर देवी के रजस्वला की वजह से अधिक प्रसिद्ध है और लोगों के आकर्षण का केंद्र भी है। मंदिर में एक चट्टान के रूप में बनी योनि से रक्त का स्राव होता है जो इस मंदिर की लोकप्रियता का मुख्य कारण है तो चलिए पूरे विस्तार से आपको मां कामाख्या देवी के मंदिर के बारे में बताते हैं।
कब हुआ था निर्माण
माना जाता है कि कामाख्या देवी मंदिर का निर्माण मध्यकाल के दौरान किया गया था। बाद में गौड़ के एक मुस्लिम आक्रमणकारी ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। इसके बाद राजा विश्व सिंह के उत्तराधिकारी महान कोच राजा नर नारायण ने इस मंदिर को पुन स्थापित किया और मंदिर को शाही संरक्षण दे दिया। कई बार प्राकृतिक आपदाओं या बाहरी कारणों की वजह से इस मंदिर पर मुसीबतें आई लेकिन मां कामाख्या ने अपने इस मंदिर को टूटने नहीं दिया और यही एक कारण है कि आज भी यह मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
कैसे हुआ मन्दिर का निमार्ण
पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती और शंकर भगवान के विवाह से उनके पिता दक्ष प्रसन्न नहीं थे। जब एक बार सती के पिता राजा दक्ष ने यज्ञ आयोजित किया तो इसमें सती के पति को नहीं बुलाया जिससे माता सती बिना बुलाए पिता के घर पहुंची। वहां उनके पिता ने भगवान शंकर का अपमान किया इससे क्रोधित होकर माता सती हवन कुंड में कूद गई उन्हें बचाने भगवान शिव भी वहा पहुंचे और सती का शव लेकर तांडव करने लगे।
जब उन्हें रोकने के लिए विष्णु ने सुदर्शन चक्र उन पर फेंका तो सती का शरीर 51 भागों में कट कर विभिन्न स्थानों पर जा गिरा इसमें से माता सती की योनि और उनके गर्भ जिस स्थान पर गिरा वहीं पर एक मंदिर बनाया गया जिसे कामाख्या देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
तंत्र साधना और अघोरियों का गढ़ है यह मन्दिर
ऐसी मान्यता है की मां कामाख्या का मंदिर तंत्र साधना और अघोरियों का गढ़ है। इस मंदिर में वैसे तो हर साल भक्तों की लाइन लगी ही होती है लेकिन दुर्गा पूजा, बसंत पूजा इत्यादि में मंदिर का अलग है माहौल रहता है जिसके कारण लाखों की संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं। कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ है यहां पर दुर्गा या अंबे मां की कोई भी मूर्ति नहीं देखने को मिलेगी, ऐसा माना जाता है की यह मंदिर चमत्कारों से भरा हुआ है।
ब्रह्मपुत्र का पानी हो जाता है लाल
पूरे देश मे पीरियड्स यानी मासिक धर्म को अशुद्ध माना जाता है इस दौरान लड़कियों को अक्सर अछूत भी समझा जाता है लेकिन कामाख्या देवी के मामले में ऐसा नहीं है हर साल अंबुबाची मेला के दौरान पास में स्थित नदी ब्रह्मपुत्र का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है पानी का यह लाल रंग कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होता है और फिर तीन दिन बाद श्रद्धालुओं की मंदिर में भीड़ फिर उमड़ पड़ती है।
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