सूत्रों ने बताया कि खाद्य नियामक एफएसएसएआई को 28 मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में जांचे गए दो प्रमुख ब्रांड MDH spices और Everest spices नमूनों में एथिलीन ऑक्साइड का कोई अंश नहीं मिला है। उनके अनुसार, छह अन्य प्रयोगशालाओं की रिपोर्ट अभी भी लंबित है।
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पिछले महीने, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने हांगकांग और सिंगापुर द्वारा गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के मद्देनजर देश भर से एमडीएच और एवरेस्ट सहित सभी ब्रांडों के पाउडर के रूप में मसालों के नमूने लेना शुरू किया था।
हांगकांग के खाद्य सुरक्षा केंद्र (सीएफएस) ने उपभोक्ताओं से एमडीएच और एवरेस्ट के कुछ मसाला मिश्रण उत्पादों को न खरीदने को कहा था, क्योंकि उनमें एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा अनुमेय सीमा से अधिक थी।
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ये उत्पाद MDH के मद्रास करी पाउडर, एवरेस्ट फिश करी मसाला, MDH सांभर मसाला मिश्रित मसाला पाउडर और एमडीएच करी पाउडर मिश्रित मसाला पाउडर हैं।
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सूत्रों के अनुसार, 22 अप्रैल को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और एफएसएसएआई के क्षेत्रीय निदेशकों के माध्यम से एक अखिल भारतीय अभियान शुरू किया गया था।
इसमें मसाला निर्माण इकाइयों का व्यापक निरीक्षण और घरेलू बाजार में खपत के लिए बिक्री और वितरण के लिए निर्मित उत्पादों का नमूना लेना और परीक्षण करना शामिल था।
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सूत्रों ने कहा कि एवरेस्ट मसालों के नमूने उनकी दो विनिर्माण सुविधाओं से उठाए गए थे। उन्होंने कहा कि MDH के 25 नमूने एफएसएसएआई ने उनकी 11 विनिर्माण सुविधाओं से उठाए हैं।
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नमूने में लिए गए प्रत्येक उत्पाद का कीटनाशक अवशेषों सहित विभिन्न गुणवत्ता और सुरक्षा मापदंडों के अनुपालन के लिए विश्लेषण किया गया था।
इन नमूनों का एफएसएसएआई द्वारा अधिसूचित एनएबीएल-मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) के लिए भी विश्लेषण किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि अब तक प्राप्त प्रयोगशाला रिपोर्टों की एफएसएसएआई के वैज्ञानिक पैनल द्वारा जांच की गई और पाया गया कि नमूनों में एथिलीन ऑक्साइड का कोई निशान नहीं दिखा।
इसी तरह, अन्य ब्रांडों के मसालों के 300 से अधिक नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट भी वैज्ञानिक पैनल द्वारा जांची गई और उनमें भी एथिलीन ऑक्साइड की उपस्थिति का कोई निर्णायक संकेत नहीं मिला।
वैज्ञानिक पैनल में मसाला बोर्ड, सीएसएमसीआरआई (गुजरात), भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान (केरल), निफ्टम (हरियाणा), बीएआरसी (मुंबई), सीएमपीएपी (लखनऊ), डीआरडीओ (असम), आईसीएआर, राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र (पुणे) के प्रख्यात वैज्ञानिक शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि मसाला बोर्ड ने मसाला निर्यातकों को आयातक देशों के मानकों के अनुसार सूक्ष्म जीवाणु संदूषण से निपटने के लिए मसालों को जीवाणुरहित करने के लिए ईटीओ का उपयोग करने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
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