Baisakhi 2024: हर साल 13 अप्रैल के दिन वैशाखी का त्यौहार मनाया जाता है। चुकी वैशाख के महीने में यह त्यौहार मनाया जाता है इसलिए इसका नाम बैसाखी का त्यौहार है। बैसाखी के पर्व को बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मानते हैं इस दिन सूर्य का मीन से मेष राशि में गोचर होता है और इसलिए इस दिन को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से सिख धर्म के लोग इस दिन को नव वर्ष के रूप में मनाते हैं। तो चलिए इस त्यौहार के महत्व को जानते हैं।
किन राज्यों में मनाते है, वैशाखी का त्यौहार
भारत के उत्तर भारत, पंजाब और हरियाणा में इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। भारत एक ऐसा देश है जहां कई संस्कृति कई धर्म के लोग रहते हैं, लेकिन फिर भी हर धर्म के त्योहार और उनकी संस्कृति को पूरा भारत देश मिलकर मनाता हैं।
क्या है बैसाखी का महत्व?
बैसाखी पर्व खुशियों का त्यौहार है जैसे ईसाई कैलेंडर के हिसाब से 1 जनवरी को नए साल का आगमन होता है वैसे ही सिख धर्म में बैसाखी के त्योहार से नए साल का आगमन होता है। सिख धर्म की मान्यता के अनुसार वर्ष 1699 में 13 अप्रैल के दिन सिखों के गुरु गोविंद सिंह सिक्खों के दसवें व अंतिम सिख गुरु ने खालसा पंथ की स्थापना की थी,
उन्होंने उच्च एवं निम्न जाति समुदायों के मध्य भेदभाव को समाप्त किया था और सिख धर्म की नींव रखी थी तब से 13 अप्रैल को ही बैसाखी यानी नए साल का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारा में लंगर का विशेष आयोजन भी किया जाता है गुरुद्वारों में भजन कीर्तन सत्संग का आयोजन किया जाता है।
यह त्यौहार किसानों को समर्पित है
बैसाखी का त्योहार मुख्य रूप से किसानों को समर्पित है क्योंकि इस दिन किसान अपने पूरे साल में हुई फसल के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं और कटाई करके घर जाते हैं इस दिन दान का भी बहुत महत्व होता है दान करने से मान्यता है कि घर में सुख समृद्धि का वास होता है। पूरे भारत में इस त्यौहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है अच्छा खाना पीना नए कपड़े पहनना आदि के द्वारा लोग खुशियां मनाते हैं।
कैसे मनाया जाता है यह पर्व?
बैसाखी के दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारा सजाते हैं, गुरु वाणी सुनते हैं और अपने-अपने घरों में विशेष पूजा करते हैं। इसके अलावा घर के बाहर लकड़ी का घेरा बनाकर चलते हैं और वहां पर भांगड़ा और गिद्ध भी करते हैं साथ ही एक दूसरे के गले मिलकर बैसाखी की शुभकामनाएं देते हैं अच्छे-अच्छे पकवान, शरबत नए कपड़े पहनने की भी परंपरा है।
Read More:- Chaiti chhath 2024: क्या होता है चैती छठ? जानें इसकी तिथि और महत्त्व