हैदराबाद : बीजेपी ने जब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए 195 प्रत्याशियों की सूची जारी की तो उसमें से कई नाम चौंकाने वाले थे। उन चौंकाने वाले नामों में से एक नाम था माधवी लता का, जी हां जो सीट 1984 से लेकर अब तक एक परिवार के हाथ में थी उस सीट पे बीजेपी ने अपनी जीत पक्की करने के लिए माधवी लता को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
इस लोकसभा इलेक्शन में माधवी लता जी को असदुद्दीन ओवैसी का मुकाबला करने के लिए बीजेपी द्वारा अपना उम्मीदवार चुना गया है । जब से ये ख़बर सामने आई है तब से हर कोई माधवी लता के बारे में जानना चाहता है। तो फिर देर किस बात की चलिए जानते है आखिर कौन हैं माधवी लता?
कौन है माधवी लता
हैदराबाद में माधवी लता जी की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है, वह ट्रस्ट और हेल्थ केयर संस्थाओं के साथ-साथ शिक्षा सशक्तिकरण पर भी बल देती हैं। वह लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लतामा फाउंडेशन की प्रमुख भी है। माधवी लता भरतनाट्यम डांसर भी हैं। अभी वर्तमान में वह विरिंची हॉस्पिटल के चेयरपर्सन के रूप में भी कार्यरत है। वह सोशल मीडिया पर हमेशा अपनी बयानों को लेकर छाई रहती है और अपने कड़क हिंदूवादी छवि के लिए जानी जाती हैं।
माधवी लता एक जानी पहचानी सोशल एक्टिविस्ट हैं जिन्होंने हैदराबाद में हेल्थ कैंप लगाए टॉयलेट्स बनवाए, स्वच्छ भारत अभियान चलाया गर्ल्स एजुकेशन के क्षेत्र में काम किया लेकिन उस काम में भी उन्हें लड़ना भिड़ना पड़ा आखिर क्यो? क्योंकि वहां जिस सत्ता का राज़ था वह किसी ब्रिटिश शासन या मुगल शासन से कम नहीं थी।माधवी लता एक फिल्म स्टार भी रह चुकीं हैं, लेकिन उनके ऐक्टिंग करियर से ज्यादा उन्हे राजनिति और उनके सोशल वर्क से पॉपुलैरिटी मिली।
माधवी लता ने 2024 के इस चुनाव में ऐसी जगह से खड़े होने का निर्णय लिया है जहां पिछले 40 वर्षों से ओवैसी परिवार का कब्जा है। इनके निडर अस्तित्व ने इन्हें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा दी है। जिस राज्य पर पिछले 40 साल तक एक मुस्लिम प्रत्याशी का कब्जा हो उस राज्य से लोक सभा चुनाव के लिए एक महिला का खड़ा होना काफी अचंभित और गौरव दोनों की बात है।
अचंभित इसलिए क्योंकि एक मुस्लिम राज्य में एक हिंदू महिला का धर्म के प्रति बयान देना और मुस्लिम जनसंख्या वाले राज्य में एक हिंदू महिला का सत्ता में आने का दावा करना अपने आप में सोचनीय है, माधवी लता जी का हैदराबाद राज्य से इलेक्शन लड़ने का चुनाव करना गौरव की बात इसलिए है कि उन्होंने बिना डरे बिना किसी चिंता या शंका के मुस्लिम जनसंख्या वाले राज्य में ओवैसी जैसे राजनेता को चुनाव में ललकार दिया और यह सबके बस की बात नहीं होती है।
ओवैसी कौन है? जिसके खिलाफ़ माधवी लता ने कर दिया ऐलान ए जंग
असदुद्दीन ओवैसी भारतीय राजनीति में बड़ा और जाना पहचाना हुआ नाम है। ओवैसी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के चीफ जरूर हैं, लेकिन पार्टी उनके चेहरे और नाम से पहचानी जाती है। असदुद्दीन ओवैसी ने उस्मानिया विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ आर्ट्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। आगे की पढ़ाई करने के लिए वह लंदन चले गए। उन्होंने लंदन के लिंकन इन में बैचलर ऑफ लॉ और बैरिस्टर-एट-लॉ की पढ़ाई की और एक वकील बन गए।
ओवेशी का दावा है की उनकी राजनीति मुख्य रूप से मुसलमानों और दलितों जैसे अल्पसंख्यकों पर केंद्रित है।ओवैसी अपनी राजनीति से लेकर अपने भाषणों की वजह से विवादों और खबरों में रहे हैं।असदुद्दीन ओवैसी पहली बार साल 2004 में हैदराबाद लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे और अब तक वे लगातार चार बार से सांसद बन चुके हैं।
हालांकि ओवैसी और उनकी पार्टी का दावा है की हैदराबाद के लिए ओवैसी से अच्छा कोई शासन और उनकी पार्टी से अच्छा कोई दूसरा पार्टी नहीं हो सकता। उनके अनुसार इन्होंने हैदराबाद के लोगों का जीवन बदल दिया है, अस्पताल कॉलेज, साफ सफाई के क्षेत्र में खूब काम किया है। हैदराबाद यदि आज एक अच्छे मुकाम पर है तो सिर्फ ओवैसी के कारण लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि हैदराबाद की जनता ओवैसी से खुश है तो क्या वह भाजपा प्रत्याशी माधवी लता को हैदराबाद में इंटर करने देगी?
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ओवैसी को लेकर माधवी लता ने क्या क्या बयान दिया?
वैसे यह तो हम सब जानते हैं कि जब जंग दो अलग मजहब दो अलग सोच और दो अलग-अलग लोगों के बीच चलती है तो किसी बात पर सहमति नहीं हो सकती। माधवी लता जी कई सालों से सामाजिक कार्यों से जुड़ी हैं सामाजिक संस्थाओं से जुड़ी हैं अब राजनीति में आने के बाद उनकी तरफ से ओवैसी द्वारा किए गए हर कारनामों का काला चिट्ठा सामने आ रहा है। माधवी लता जी अक्सर अपने तेज तर्रार बयानों की वजह से काफी चर्चा में रहती हैं उन्होंने ओवैसी के खिलाफ भी कई बयान दिए हैं।
अभी हाल ही में ओवेशी की पॉलिटिकल पार्टी एआईएमआईएम ने CAA के खिलाफ़ कहा था, की “बीजेपी ने एक असंवैधानिक कानून-सीएए बनाया, इस पर माधवी लता ने ओवेशी पर निशाना साधते हुए कहा की CAA की परिभाषा भी इन्हें समझ नहीं आई और उन्होंने इसे असंवैधानिक कह दिया।”वहीं रामनवमी के अवसर पर माधवी लता एक शोभा यात्रा में शामिल हुई थीं, इस दौरान एक मस्जिद के पास पहुंचते ही उन्होंने उस पर तीर चलाने की एक्टिंग की, जो विवाद का कारण बन गया है।
माधवी लता के इस एक्टिंग के बाद ओवैसी लगातार उन पर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। माधवी लता जी के इन बयान बाजी और कार्यों के टिप्पणी के पीछे हमारा मकसद यह बताने का है की किस प्रकार माधवी लता जी बिना किसी से डरे लगातार ओवैसी और उनकी पार्टी का भंडाफोड़ रही है। फिलहाल माधवी लता जी लोकसभा चुनाव के प्रचारकों में व्यस्त हैं और लगातार हैदराबाद की हर एक स्थिति और व्यवस्थाओं को जनता के सामने ला रही हैं।
भाजपा ने माधवी लता जी का चुनाव ही क्यों किया?
2019 के लोकसभा चुनाव में हैदराबाद से बीजेपी ने जिस उम्मीदवार को खड़ा किया था वह 3 लाख वोटो से हार गए थे। लेकिन इस बार बीजेपी ने ठान लिया है कि हैदराबाद में 40 साल पुराने ओवैसी के शासन को जड़ से उखाड़ फेंकना है। इसके पीछे कई कारण भी है, जैसे अपने एक इंटरव्यू में माधवी लता जी ने बताया था की हैदराबाद में ना स्कूलों की व्यवस्था अच्छी है ना सड़कों की।
मुस्लिम जनसंख्या वाले राज्य में एक मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा जरूर है लेकिन पिछले चार शासनकाल में हैदराबाद में कुछ बदलाव नहीं आया। हैदराबाद में मुस्लिम औरतों की जो दशा है वह भी काफी दयनीय है। यदि भाजपा ने हैदराबाद से माधवी लता जी को खड़ा किया है, तो इसके पीछे का एक मुख्य कारण माधुरी लता जी का निडर स्वभाव है। हैदराबाद में 50 ऐसी गालियां है जहां लोग जाने से डरते हैं वहां एक हिन्दू महिला होकर माधवी लता जी बिना किसी प्रोटेक्शन फोर्स के अकेली ही चली जाती हैं।
एक चौंकाने वाली बात यह है की माधवी लता के परिवार में आज तक किसी ने राजनीति में हिस्सा नहीं लिया लेकिन उनका निडर स्वभाव और आत्मविश्वास देखकर लगता है जैसे उन्हें कई सालों का राजनीतिक अनुभव है। माधवी लता कभी भी एक सक्रिय राजनेता नहीं रही हैं, माधवी लता तीन तलाक के उन्मूलन पर कई मुस्लिम महिला समूहों के साथ सहयोग कर रही हैं और अक्सर पुराने शहर के क्षेत्रों में इस मुद्दे पर बात करने के लिए आमंत्रित की जाती हैं।
माधवी लता ने बेसहारा मुस्लिम महिलाओं के लिए एक छोटा सा कोष भी बनाया और वह फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सिक्योरिटी और संस्कृति तेलंगाना राज्य जैसे संगठनों से जुड़ी थीं। वह एक गौशाला भी चलाती हैं और स्कूलों और कॉलेजों में हिंदुत्व और भारतीय संस्कृति पर नियमित रूप से भाषण देती हैं। वह पिछले दो दशकों से विश्वनाथ फाउंडेशन, लोपामुद्रा चैरिटेबल ट्रस्ट और लथामा फाउंडेशन की ट्रस्टी हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए माधवी लता जी से अच्छा उम्मीदवार और कौन हो सकता था भला?
यदि मुस्लिम लोगों का वोट एक हिंदू को नहीं मिला तो?
एक इंटरव्यू में माधवी लता जी से यह सवाल पूछा गया था कि यदि एक मुस्लिम जनसंख्या वाले राज्य में एक हिंदू महिला को लोकसभा चुनाव में वोट नहीं मिला तो वह इस चीज को किस प्रकार देखती हैं? माधवी लता जी का कहना था की वोट मिलना न मिलाना जिंदगी नहीं है। चुनाव में एक कट्टरपंथी विचारधारा और भ्रष्टाचार शासन के विरुद्ध खड़े होने का मौका मिलना ही उनके लिए काफी सौभाग्य की बात है।
लेकिन उनके कई इंटरव्यू में उन्होंने दावे के साथ यह कहा की हैदराबाद में ओवैसी के खिलाफ उनके लिए कांटे की टक्कर होगी। यदि माधवी लता ओवैसी को हराने में कामयाब हुई तो इससे बड़े गौरव की बात क्या हो सकती है? जिस प्रकार माधवी लता ने हैदराबाद को अपनाया है वहां के लोगों के लिए काम किया है चाहे वह ट्रस्ट के रूप में हो अस्पताल के रूप में हो या मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक और शिक्षा के क्षेत्र में साथ देने के रूप में हो, इसे देखकर यह कहा जा सकता है कि ओवैसी को उनके ही गणराज्य में माधवी लता एक हिंदू महिला होकर काफी अच्छी टक्कर देने वाली है।
माधवी लता ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान हैदराबाद के कट्टर विचारधारा के प्रति वहां के लोगों का रिएक्शन बताया था, और कहा था कि मुसलमान हमें वोट जरूर देंगे।
क्या हैदराबाद के मुसलमान उन्हें वोट देंगे?
माधवी लता जी के अनुसार हैदराबाद के मुसलमान उन्हें वोट जरूर देंगे। माधवी लता जी के इस बात को या तो ओवर कॉन्फिडेंस कह सकते हैं या फिर विश्वास का भी नाम दे सकते हैं। उनके इस बात के पीछे का एक कारण यह है कि उन्होंने देखा है कि किस प्रकार हैदराबाद की मुस्लिम जनसंख्या वहां के शासन के कट्टर विचारधारा और अपने ही लोगों द्वारा किए गए जुल्मों को झेल रहें है।
एक बार की घटना है, वक्फ बोर्ड के जमीन पर शमशान बना हुआ था, जिसे तोड़कर एआईएमआईएम वाले अपनी प्रॉपर्टी बनाने वाले थे। ओवैसी के साथ काम करने वाले एक पहलवान और उनके बेटे जो की एक सोशल वर्कर भी थे उन्होंने इसका विरोध किया और कहा की इस्लाम मे यह सही नहीं है, लेकिन ओवैसी ने मानने से इंकार कर दिया, इस मुद्दे को लेकर काफ़ी विवाद भी हुआ।
इस विवाद के बाद पहलवान के बेटे ने ओवैसी को मार दिया फिर क्या था ओवैसी ने पहलवान के बेटे को जेल भेज दिया। इस पूरी घटना से कुछ हद तक यह समझ आता है कि हैदराबाद की जनसंख्या जो की एक मुसलमान है वे लोग खुद अपने ही शासक से परेशान है क्योंकि उनका शासक ही उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। माधवी लता जी ने अपनी एक इंटरव्यू में हैदराबाद के मुसलमान को जागने के लिए प्रेरित किया था, क्योंकि उनके अपने ही लोग उन पर जुर्म कर रहे हैं।
ऐसी परिस्थितियों में सरकार का बदलना हैदराबाद के लिए अत्यंत आवश्यक है। कहते हैं जब शासक तानाशाही हो जाए तो उसे बदल देने में ही भलाई है। यह कह पाना तो बहुत मुश्किल है की हैदराबाद के लोकसभा चुनाव में जीत किसकी होगी भाजपा प्रत्याशी माधवी लता जी की या फिर 40 साल से राज कर रहे ओवैसी सरकार की। निःसंदेह यह एक कांटे की टक्कर है जहां एक तरफ ओवेशी और उनके विचार, और तानाशाही स्वभाव हैं तो दूसरी तरफ माधवी लता उनका निडर स्वभाव, समाज कल्याण की भावना और भाजपा का साथ है।
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