अमेरिका जिसे यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका के नाम से जाना जाता है काफी विकसित और ताकतवर देश है। किसी भी देश के लोगों का अमेरिका जैसे देशों में जाकर रहना एक गौरव की बात है। अमेरिका में जाकर रहना वहां काम करना या वहां पढ़ना किसी के लिए सपने की बात होती है। भारत में भी लोग यह सपना देखते हैं लेकिन अक्सर हर किसी का यह सपना पूरा नहीं हो पता। भारतीय लोगों और उनके अमेरिका के बीच खड़ा है अमेरिका का ग्रीन कार्ड। तो चलिए पूरे विस्तार से जानते हैं कि आखिर इस इंतजार का सब्र कब खत्म होगा?
आंकड़े क्या बताते हैं?
अमेरिकी नागरिकता के आंकड़ों के अनुसार और नेशनल फाऊंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी के विश्लेषण के अनुसार 1.2 मिलियन से अधिक भारतीय अपने परिवार सहित पहली दूसरी और तीसरी रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड श्रेणियां की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह लंबा इंतजार न केवल इन व्यक्तियों और उनके परिवारों के जीवन पर गहरा असर डाल रहा है बल्कि शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने की अमेरिकी क्षमता को भी बाधित कर रहा है।
पहली प्राथमिकता
यूएससीआईएस की डाटा के अनुसार 2 नवंबर 2023 तक ग्रीन कार्ड की मंजूरी दी गई थी इसके आधार पर थिंक टैंक ने सिर्फ तीन रोजगार आधारित प्रवासन श्रेणियां में अनुमानित बैकलॉग की गिनती की। पहली प्राथमिकता में 512049 आवेदक है जो अपने ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं।
दूसरी प्प्राथमिकता
रोजगार आधारित प्रवासन की दूसरी श्रेणी को ईबी 2 भी कहा जाता है। इसमें चार लाख 19392 प्रमुख आवेदक थे। 2020 का यूएससीआईएस डाटा बताता है कि ईवी दो श्रेणी में भारतीय बैकलॉग लगभग 3 वर्षों में 240000 यानी 40% से भी अधिक बढ़ गया।
तीसरी प्राथमिकता
रोजगार आधारित तीसरी वरीयता यानी ईबी 3 में 138581 प्रमुख आवेदक है। Eb3 में स्किल्ड लेबर और उन बिजनेस से जुड़े सदस्य शामिल है जिनकी नौकरियों के लिए कम से कम स्नातक की डिग्री जरूरी होती है।
बढ़ता ही जाएगा बैकलॉग?
आपको बता दें अमेरिकी कांग्रेस की कार्यवाही के बिना यह बैकलॉग बढ़ता ही रहेगा। कांग्रेस राशनल रिसर्च सर्विस के 2020 के अनुमान के मुताबिक सिर्फ तीन ग्रीन कार्ड स्टेडियम में भारतीयों का बैकलॉग 2030 तक बढ़कर 21.95 लाख से ऊपर पहुंच सकता है जिसे खत्म करने में 195 साल लगेंगे। वहीं दूसरी तरफ ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय तक इंतजार करना भारतीय मूल के व्यक्तियों और परिवारों पर एक बड़ा व्यक्तिगत प्रभाव डालता है और संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रतिभा को आकर्षित करने और बनाए रखने में काम प्रतिस्पर्धी भी बनता है।
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