Kerala news: जानें कानून कि किन परिस्थितियों में राष्ट्रपति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हो सकती है।
Kerala news: केरल की राज्य सरकार ने विधानसभा द्वारा पारित किए गए चार विधेयकों पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
Kerala news: President vs Kerala government
वकील CK sasi ने इस याचिका को दायर किया। इसमें कहा गया है इन सात विधेयकों में से कोई भी विधेयक का केंद्र से कोई औचित्य नहीं है।
राज्य सरकार के अनुसार ये चारों विधेयक लगभग दो साल से राज्यपाल के पास लंबित हैं जिससे वर्तमान में इसका अस्तित्व ही “अप्रभावी और निष्क्रिय” हो गया।
राज्य सरकार के अनुसार, 23 और 29 फरवरी को गृह मंत्रालय ने उसे सूचित किया कि राष्ट्रपति ने इन सात विधेयकों में से चार विधेयकों जिसमे से -विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) (नंबर 2) विधेयक, 2021, सोसायटी (संशोधन) विधेयक, 2022, विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2022, और विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) (नंबर 3) विधेयक, 2022 केरल सहकारी पर मंजूरी रोक दी है।
Kerala news: केरल सरकार की दलील
प्रस्तुत केरल सरकार की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह आग्रह किया गया कि राष्ट्रपति के इस कृत्य को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
याचिका कर्ताओं ने कहा कि यह राष्ट्रपति और राज्यपाल की मनमानी है जो अनुच्छेद 14 का विरोधी है। इसके अलावा इन विधेयकों के द्वारा केरल सरकार अपनी जनता का कल्याण करती और राष्ट्रपति द्वारा 2 साल से रोक के रखना अनुच्छेद 21 की अवमानना है।
याचिका में राज्यपाल पर यह भी इल्जाम लगाया गया कि वह विधानसभा का अंग होकर भी उनकी कार्यवाइयों पर रोक लगा रहे हैं। वह हमेशा से ही विधानसभा और उनके सदस्यों की आलोचना करते रहे हैं।
संविधान में यह प्रावधान नहीं है कि किसी विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक पर राष्ट्रपति कितने समय तक अपनी स्वीकृति या अस्वीकृति नहीं देता है।
Kerala news से संबंधित कानून
संविधान के अनुच्छेद 361 में उद्धृत है कि राष्ट्रपति, या किसी राज्य का राज्यपाल किसी कार्य के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होगा।
संविधान में यह साफ साफ वर्णित है कि राज्य सरकार द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु राज्यपाल अपने पास रखता है।
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