नरी सेमरी: मथुरा जिसे भगवान श्री कृष्ण की नगरी या जन्मभूमि भी कहा जाता है, वहां कुछ ऐसी परंपराएं आज भी प्रख्यात हैं जिन्हें सुनकर काफी आश्चर्य होता है। मथुरा में सिर्फ श्री कृष्ण ही नहीं बल्कि 33 कोटी देवी देवताओं का वास भी है। मथुरा में एक मंदिर है जहां नवरात्र मेले के आखिरी दिन देवी की विशेष लाठी से पूजा होती है कैसी है यह अनोखी परंपरा? आइए विस्तार से जानते हैं।
नरी सेमरी का मन्दिर
नई सेमरी का मंदिर मथुरा से करीब 30 किलोमीटर दूर छाता गांव में स्थित है। मंदिर का इतिहास तकरीबन 750 साल से भी अधिक पुराना है रामनवमी के दिन इस मंदिर में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है इसमें गांव के लोग देवी की लाठी डंडों से पूजा करते हैं। वैसे परंपराएं हाल ही की बनी हुई नहीं होती हैं यह परंपरा भी सैकड़ो वर्षों से चली आ रही है|
इस मंदिर में पहले यदुवंशी ठाकुर और सिसोदिया समाज के बीच देवी मां की प्रतिमा को लेकर विवाद हो गया था और इस वजह से दोनों पक्षों के लोगों के बीच लाठी डंडों से युद्ध हुआ और उसे युद्ध में यदुवंशी ठाकुर ने इस युद्ध को जीत तभी से यदुवंशी समाज के लोग लाठी डंडों से मन की आरती कर उनको प्रसन्न करते हैं।
लाठी डंडों से होती है पूजा
इस मंदिर के इतिहास के मुताबिक आज भी ठाकुर समुदाय और सिसोदिया समाज के लोग हाथों में लाठियां लेकर मंदिर जाते हैं, और देवी मां की चौखट पर लाठियां मारते हैं। इसके साथ ही मंदिर में यह भी मानता है कि नई सेमरी माता वैसे तो पूरे साल डेढ़ मुद्रा में खड़ी रहती हैं लेकिन नवमी के दिन माता के प्रतिमा सीधी खड़ी हो जाती है,
इस वजह से नवरात्रि के मौके पर मंदिरों में दर्शन के लिए भक्तों का हुजूम उमड़ता है इस विशेष पूजा में शामिल होने के लिए ठाकुर समुदाय के दोनों पक्षों को साल भर इस दिन का बड़ी बेसब्री से इंतजार भी रहता है। इस दिन गांव में मेले का भी आयोजन किया जाता है और नवमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
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